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राजपूतो का इतिहास | History of Rajputana in Hindi

इतिहासकार ऐसा कहते है राजपूतो के इतिहास (History of Rajputana)  बिना भारत के इतिहास क़ी कल्पना भी करना बहोत कठिन है। राजपूत जाति (Rajput caste) भारतीय उपमहाद्वीप की एक योद्धा जाति हैं। ये लगभग 4 से 5 करोड़ लोगों के साथ भारत में प्रमुख जाति समूहों में से एक हैं।

भारत का इतिहास अपनी विशाल और उल्लेखनीय संस्कृति के लिए जाना जाता है। इसी भारतीय इतिहास के एक अहम अध्याय में, हम राजपूतों के इतिहास( History of Rajputana) और राजपूतों की उत्पत्ति के बारे में बात करेंगे।

राजपूतों का नाम स्वयं में ही एक आदर्श, गौरव और अखंडता का संकेत है। राजपूत राज्य उत्तर, पश्चिमी, मध्य और पूर्वी भारत के साथ दक्षिणी और पूर्वी पाकिस्तान में पाये जाते हैं। इन क्षेत्रों में राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, पूर्वी पंजाब, पश्चिमी पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू, उत्तराखण्ड, बिहार, मध्य प्रदेश और सिंध,महाराष्ट्र,मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़ शामिल हैं। वे सिंध और बलूचिस्तान के पाकिस्तानी प्रांतों में भी रहते हैं।

हर्ष की मृत्यु 647 ईसवी के बाद में राजस्थान के बहुत से स्थानों पर राजपूतों (Rajput’s) की सत्ता का स्थापन हुआ। राजपूत (Rajput)  शब्द की उत्पत्ति राष्ट्रकूट शब्द से मानी जाती है। सातवीं सदी से बारहवीं सदी तक का काल इतिहास में राजपूत काल के नाम से जाना जाता है। राजपूतों की उत्पत्ति के मामले में अनेक मत प्रचलित है।

राजपूतों की उत्पत्ति (Origin of Rajputs)

क्षत्रिय सिद्धांत:

 
क्षत्रिय सिद्धांत राजपूतों की उत्पत्ति (Origin of Rajputs) के बारे में सबसे लोकप्रिय सिद्धांतों में से एक है। इस सिद्धांत के अनुसार राजपूत (Rajput) क्षत्रिय जाति के वंशज हैं। क्षत्रिय प्राचीन भारत के शासक वर्ग थे और भूमि और उसके लोगों की रक्षा के लिए जिम्मेदार थे।

समय के साथ, क्षत्रिय विभिन्न उप-जातियों में विभाजित हो गए, और राजपूत इन उप-जातियों में से एक के रूप में उभरे। इस सिद्धांत के समर्थक इस तथ्य की ओर इशारा करते हैं कि राजपूत क्षत्रिय जाति के साथ कई सांस्कृतिक और सामाजिक लक्षण साझा करते हैं। उनका यह भी तर्क है कि राजपूत ऐतिहासिक रूप से अपने सैन्य कौशल और अपनी भूमि और लोगों की रक्षा करने की प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे, जो क्षत्रियों के पारंपरिक कर्तव्यों के अनुरूप है।

अग्निकुंड सिद्धांत:

 
अग्निकुंड सिद्धांत में राजपूतों को अग्निवंशी  माना गया है। अग्निकुंड सिद्धांत चंद्रवरदाई के प्रसिद्ध ग्रंथ पृथ्वीराजरासो से लिया गया है। इसके अनुसार मानना  है कि राजपूतों के चार वंश प्रतिहार, परमार, चालुक्य, चौहान  ऋषि वशिष्ठ के अग्निकुंड  से राक्षसों के संहार के लिए उत्पन्न किए गए थे।

मुंहनौत नैंसी और सूर्यमल मिश्रण ने भी अग्निकुंड सिद्धांत का समर्थन किया था। लेकिन गौरीशंकर हीराचंद ओझा, सी वी वैध् , दशरथ शर्मा इत्यादि इतिहासकारों ने इस सिद्धांत को निराधार बताया है । कर्नल जेम्स टॉड ने भी इस अग्निवंशी मत को अपने मत ‘ विदेशी वंशी राजपूतों की पुष्टि में ‘ मान्यता दी थी भारत का इतिहास अपनी विशाल और उल्लेखनीय संस्कृति के लिए जाना जाता है।  

सूर्यवंशी व चंद्रवंशी सिद्धांत:

 
  • श्री जगदीश सिंह गहलोत के अनुसार राजपूतों के राजवंश वैदिक व पौराणिक काल में राजन्य, क्षत्रिय आदि नाम से प्रसिद्ध सूर्य व चंद्रवंशी क्षत्रियों की संतान थे ।
  •  डॉ. दशरथ शर्मा ने ( पुस्तक राजस्थान थ्रू द एजेज ) राजपूतों को सूर्यवंशी व चंद्रवंशी बताया है ।
  •  अग्निपुराण के अनुसार चंद्रवंशी कृष्ण व अर्जुन, सूर्यवंशी राम व लवकुश के वंशज ही राजपूत थे ।
  •  हर्षनाथ अभिलेख ( सीकर ) में चौहानों को सूर्यवंशी बताया है ।
  •  वंशावलियों में राठौड़ों को सूर्यवंशी, यादवों व भाटियों को चंद्रवंशी बताया है ।

विदेशी आक्रमणकारी सिद्धांत:

 
राजपूतों की उत्पत्ति के संबंध में एक अन्य लोकप्रिय सिद्धांत विदेशी आक्रमणकारी सिद्धांत है। इस सिद्धांत के अनुसार, राजपूत विदेशी आक्रमणकारियों के वंशज हैं जो भारत आए और अपना शासन स्थापित किया।
  • कर्नल टॉड ने राजपूतों को विदेशी सीथियन जाति की संतान माना है ।
  •  इतिहासकार वी ए. स्मिथ ने राजपूतों को हूणों की संतान बताया है । 
  • इतिहासकार विलियम कुक व कनिंघम ने टॉड का समर्थन करते हुए, राजपूतों के वंशजों का उद्भव शक/कुषाणों के आक्रमण के समय माना है ।
  •  डॉ. भण्डारकर ने चारों अग्निवंशीय ( परमार, प्रतिहार, चौहान, चालुक्य ) को विदेशी सिद्ध करने का प्रयास किया है

यह सिद्धांत इस तथ्य से समर्थित है कि कई राजपूत कबीले हूणों, यूनानियों और सीथियन जैसे विदेशी शासकों के वंशज होने का दावा करते हैं।  हालांकि यह सच है कि विदेशी आक्रमणकारी भारत आए और अपना शासन स्थापित किया, यह संभावना नहीं है कि राजपूत (Rajput)  इन आक्रमणकारियों के वंशज थे। राजपूतों की एक अलग संस्कृति और जीवन शैली है जो भारत पर शासन करने वाले विदेशी आक्रमणकारियों की संस्कृतियों से बहुत अलग है।

 

राजस्थान का नाम अपनी अनूठी संस्कृति और परंपराओं के लिए भी जाना जाता है। इस क्षेत्र में राजपूत सम्राटों ने बहुत सारी महत्वपूर्ण इमारतें, मंदिरों और आधुनिक जीवन के लिए आवश्यक सुविधाओं का निर्माण किया।राजस्थान के इतिहास क़ी जानकारी लेने के लिए राजस्थान इतिहास वाले भाग पर जाकर क्लिक करे.

भारत का इतिहास अपनी संस्कृति और विविधता के लिए भी जाना जाता है। भारत में बहुत से धर्मों, भाषाओं, संस्कृतियों और जीवन शैलियों का विकास हुआ है।भारत  के इतिहास क़ी जानकारी लेने के लिए भारत का इतिहास वाले भाग पर जाकर क्लिक करे.

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