हिन्दू राजपूत सम्राट पृथ्वीराज चौहान तृतीय (1177-1192 ई.) का इतिहास
पृथ्वीराज चौहान का परिचय (Who was Prithviraj Chauhan) पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) भारतीय इतिहास मे एक बहुत ही अविस्मरणीय नाम है। राजपूत चौहान वंश मे
इतिहासकार ऐसा कहते है राजपूतो के इतिहास (History of Rajputana) बिना भारत के इतिहास क़ी कल्पना भी करना बहोत कठिन है। राजपूत जाति (Rajput caste) भारतीय उपमहाद्वीप की एक योद्धा जाति हैं। ये लगभग 4 से 5 करोड़ लोगों के साथ भारत में प्रमुख जाति समूहों में से एक हैं।
भारत का इतिहास अपनी विशाल और उल्लेखनीय संस्कृति के लिए जाना जाता है। इसी भारतीय इतिहास के एक अहम अध्याय में, हम राजपूतों के इतिहास( History of Rajputana) और राजपूतों की उत्पत्ति के बारे में बात करेंगे।
राजपूतों का नाम स्वयं में ही एक आदर्श, गौरव और अखंडता का संकेत है। राजपूत राज्य उत्तर, पश्चिमी, मध्य और पूर्वी भारत के साथ दक्षिणी और पूर्वी पाकिस्तान में पाये जाते हैं। इन क्षेत्रों में राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, पूर्वी पंजाब, पश्चिमी पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू, उत्तराखण्ड, बिहार, मध्य प्रदेश और सिंध,महाराष्ट्र,मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़ शामिल हैं। वे सिंध और बलूचिस्तान के पाकिस्तानी प्रांतों में भी रहते हैं।
हर्ष की मृत्यु 647 ईसवी के बाद में राजस्थान के बहुत से स्थानों पर राजपूतों (Rajput’s) की सत्ता का स्थापन हुआ। राजपूत (Rajput) शब्द की उत्पत्ति राष्ट्रकूट शब्द से मानी जाती है। सातवीं सदी से बारहवीं सदी तक का काल इतिहास में राजपूत काल के नाम से जाना जाता है। राजपूतों की उत्पत्ति के मामले में अनेक मत प्रचलित है।
समय के साथ, क्षत्रिय विभिन्न उप-जातियों में विभाजित हो गए, और राजपूत इन उप-जातियों में से एक के रूप में उभरे। इस सिद्धांत के समर्थक इस तथ्य की ओर इशारा करते हैं कि राजपूत क्षत्रिय जाति के साथ कई सांस्कृतिक और सामाजिक लक्षण साझा करते हैं। उनका यह भी तर्क है कि राजपूत ऐतिहासिक रूप से अपने सैन्य कौशल और अपनी भूमि और लोगों की रक्षा करने की प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे, जो क्षत्रियों के पारंपरिक कर्तव्यों के अनुरूप है।
मुंहनौत नैंसी और सूर्यमल मिश्रण ने भी अग्निकुंड सिद्धांत का समर्थन किया था। लेकिन गौरीशंकर हीराचंद ओझा, सी वी वैध् , दशरथ शर्मा इत्यादि इतिहासकारों ने इस सिद्धांत को निराधार बताया है । कर्नल जेम्स टॉड ने भी इस अग्निवंशी मत को अपने मत ‘ विदेशी वंशी राजपूतों की पुष्टि में ‘ मान्यता दी थी भारत का इतिहास अपनी विशाल और उल्लेखनीय संस्कृति के लिए जाना जाता है।
यह सिद्धांत इस तथ्य से समर्थित है कि कई राजपूत कबीले हूणों, यूनानियों और सीथियन जैसे विदेशी शासकों के वंशज होने का दावा करते हैं। हालांकि यह सच है कि विदेशी आक्रमणकारी भारत आए और अपना शासन स्थापित किया, यह संभावना नहीं है कि राजपूत (Rajput) इन आक्रमणकारियों के वंशज थे। राजपूतों की एक अलग संस्कृति और जीवन शैली है जो भारत पर शासन करने वाले विदेशी आक्रमणकारियों की संस्कृतियों से बहुत अलग है।
राजस्थान का नाम अपनी अनूठी संस्कृति और परंपराओं के लिए भी जाना जाता है। इस क्षेत्र में राजपूत सम्राटों ने बहुत सारी महत्वपूर्ण इमारतें, मंदिरों और आधुनिक जीवन के लिए आवश्यक सुविधाओं का निर्माण किया।राजस्थान के इतिहास क़ी जानकारी लेने के लिए राजस्थान इतिहास वाले भाग पर जाकर क्लिक करे.
भारत का इतिहास अपनी संस्कृति और विविधता के लिए भी जाना जाता है। भारत में बहुत से धर्मों, भाषाओं, संस्कृतियों और जीवन शैलियों का विकास हुआ है।भारत के इतिहास क़ी जानकारी लेने के लिए भारत का इतिहास वाले भाग पर जाकर क्लिक करे.
पृथ्वीराज चौहान का परिचय (Who was Prithviraj Chauhan) पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) भारतीय इतिहास मे एक बहुत ही अविस्मरणीय नाम है। राजपूत चौहान वंश मे
भैरों सिंह शेखावत जी का परिचय (Bhairon Singh Shekhawat) यूँ तो राजस्थान की ज़मीन पर काफी महान हस्तियों ने जन्म लिया है और इतिहास के
मेवाड़ का इतिहास (Mewar History in Hindi) मेवाड़ का इतिहास बहुत पुराना है और इसने विभिन्न सांस्कृतिक समृद्धियों और ऐतिहासिक घटनाओं की गर्वित दीवारों को
राजस्थान का एकीकरण (Rajasthan ka Ekikaran Kab Hua in Hindi) जब राजस्थान के एकीकरण की बात आती है तो सबसे ज्यादा राजस्थान को एक करने
सम्राट मिहिर भोज का परिचय (Samrat Mihir Bhoj History) मिहिर भोज (Mihir Bhoj) अथवा भोज प्रथम जो गुर्जरात्रा क्षेत्र के राजपूत प्रतिहार वंश के सबसे
महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय का परिचय (Maharaja Sawai Jai singh 2 History in Hindi) इतिहास में बहुत सारे ऐसे राजा हुए हैं जो अपने समय