मिर्जा राजा जयसिंह प्रथम (Mirza Raja Jai Singh I History) का परिचय
मिर्जा राजा जयसिंह प्रथम (mirza raja jai Singh I) ने आमेर राज्य के कच्छवाहा राजवंश के शासक के रूप में 1621 से लेकर 1667 तक शासन किया था।
छत्रपति शिवाजी महाराज को हिंदुस्तान में किसी ने हराया था तो तो वे आमेर के एकमात्र राजा मिर्जा राजा जयसिंह प्रथम थे।
हालांकि यह भी बताया जाता है कि जब औरंगजेब ने शिवाजी महाराज को गिरफ्तार कर लिया था तो जेल से भगाने के लिए मिर्जा राजा सिंह ने ही मदद की थी।
इन्होने 3 मुग़ल बादशाहों का शासन काल देखा- जहांगीर, शाहजहां, और औरंगज़ेब। मिर्जा राजा जयसिंह को मुग़ल बादशाह शाहजहां द्वारा 1639 ई. में मिर्ज़ाराजा की उपाधि से सम्मानित किया गया।
इस लेख के माध्यम से हम मिर्जा राजा जयसिंह (mirza raja jai Singh I History) के पूरे जीवन काल के बारे में बताने का प्रयास करेंगे,तो कृपया लेख को पूरा पढ़ें।
मिर्जा राजा जयसिंह प्रथम का जन्म और प्रारंभिक जीवन (mirza raja jai Singh I Birth )
मिर्जा राजा जयसिंह प्रथम का जन्म 15 जुलाई 1611 आमेर राज्य में हुआ था उनके पिता का नाम राजा मानसिंह प्रथम था और माता का नाम दमयंती था।
राजा मानसिंह प्रथम की मृत्यु के बाद भाव सिंह आमेर क़ी गद्दी पर बैठा था।
जब जयसिंह लगभग 2 बरस का ही था। यह बताया जाता है कि मान सिंह की मृत्यु पश्चात दमयंती जयसिंह को लेकर दोसा चली गई थी क्योंकि उसे मान सिंह की हत्या होने का डर था।
उसकी माता रानी दमयंती ने जय सिंह की शिक्षा दीक्षा का बहुत ही अच्छा प्रबंध किया था। उसको फारसी, तुर्की, उर्दू ,हिंदी और संस्कृत का साधारण ज्ञान बचपन में ही करा दिया था। जिससे उसको आगे चलकर और समृद्ध किया जा सके।
जीजाबाई की बाती रानी दमयंती ने अपने पुत्र को बचपन से ही धार्मिक, व्यवहारिक शिक्षा देकर इन विषयों में अधिक जानकारी प्राप्त करने की क्षमता पैदा कर दी थी।
भाव सिंह की मृत्यु के बाद राजा भाव सिंह का कोई पुत्र ना होने के कारण 1621 ई. में राजा मानसिंह प्रथम (Mirza raja Man singh I) के बड़े पुत्र जय सिंह प्रथम मात्र 11 वर्ष की आयु में आमेर के शासक बने।
गद्दी पर बैठने के पश्चात जयसिंह की सर्वप्रथम नियुक्ति 1623 मैं मलिक अंबर के विरुद्ध जो अहमदनगर के राज्य की रक्षा मुगलों के विरुद्ध कर रहा था वहां की गई। जिसमें उन्होंने अपने अदम्य साहस और रण कौशल का परिचय दिया।
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मिर्जा राजा जयसिंह और शाहजहां
शाहजहां के काल में सम्राट ने उसे 4000 का मनसबदार बना कर सम्मानित किया था और शाहजहां ने इनको महावन के जाटों को दबाने के लिए भेजा था।
बादशाह शाहजहां राजा जयसिंह के साहसी कार्यों से बहुत प्रभावित हुआ और उनके मनसब को 5000 कर दिया था। फिर राजा जयसिंह को सुजा के साथ कंधार अभियान पर भेजा गया।
1636 ई. में शाहजहां ने मुग़ल सेना को जय सिंह प्रथम के नेतृत्व में बीजापुर व गोलकुंडा अभियान पर भेजा वहां इनके सैन्य कौशल के कारण मुग़ल साम्राज्य को सफलताएं मिली । इस से खुश होकर मुग़ल बादशाह ने इनके लौटने पर इन्हें चाकसू व अजमेर के परगने उपहार में दिए। और इन्हें 1639 ई.में मिर्ज़ा राजा की उपाधि से सम्मानित किया।
1651 में जयसिंह की नियुक्ति सादुल्लाह खान के साथ कंधार के युद्ध के लिए की गई जांच में मुगल सेना का संचालन सेनापति के रूप में किया।
1657-58 ई. में जब मुग़ल सत्ता में उत्तराधिकार को लेकर मतभेद हुए तब शाहजहां ने इन्हें 1658 ई. में इन्हें अपने पुत्र शुजा के विरुद्ध भेजा क्योंकि शाहजहां चाहते थे कि इनके ज्येष्ठ पुत्र दारा शिकोह अगला मुग़ल बादशाह बने।
मिर्ज़ा राजा जय सिंह के नेतृत्व में सेना ने बहादुरपुर ( वर्तमान बनारस, उत्तर प्रदेश के पास) के युद्ध में शुजा को पराजित कर दिया। इस से खुश होकर शाहजहां ने इनका मनसब बढ़ा के 6000 कर दिया।
मिर्जा राजा जयसिंह (Mirza Raja Jaisingh) और औरंगजेब
मिर्जा राजा जयसिंह((mirza raja Jaisingh)) शाहजहां के समय औरंगजेब को बादशाह बनाने के पक्ष में नहीं था। लेकिन जब औरंगजेब दिल्ली का बादशाह बना तो कुछ कारणों क़ी वजह से उनके साथ संधि कर ली थी बाद मे।
मार्च 1659 ई. में दौराई (अजमेर की निकट) की मैदान में औरंगज़ेब व दारा शिकोह की मध्य मुग़ल सत्ता की लिए दूसरा व अंतिम युद्ध हुआ। इस युद्ध में मिर्ज़ा राजा जय सिंह ने औरंगज़ेब के पक्ष से युद्ध लड़ा व उसकी सेना में हरावल दस्ते का नेतृत्व किया और इस युद्ध में औरग़ज़ेब विजयी होकर अगला मुग़ल बादशाह बना था।
औरंगजेब का ध्यान दक्षिण की ओर गया जिस समय मराठे शिवाजी के नेतृत्व में शक्तिशाली हो रहे थे साथ ही में मुगलो का खजाना भी लूटा जा रहा था ।
तब औरंगजेब ने मिर्जा राजा जयसिंह की नियुक्ति दक्षिण में की बताया जाता है कि शिवाजी को चारों ओर से घेरने के लिए यहां जयसिंह ने तूफानी लड़ाई लड़ी थी।
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पुरन्धर की संधि (purandar ki sandhi) mirza raja jai singh vs shivaji maharaj
1665 ई. में औरंगज़ेब ने मिर्ज़ा राजा जय सिंह को 1 लाख 40 हजार मुग़ल सेना देकर शिवजी को दबाने भेजा। मिर्जा राजा जय सिंह ने पुरन्धर के किले (वर्तमान पुणे के निकट) में महाराज शिवजी को घेर लिया व अपनी सैन्य कुशलता का परिचय देते हुए उन्हें मुगलों से संधि करने व उनके अधिपत्य में होना स्वीकार करने पर बाध्य कर दिया। और 11/22 जून 1665 ई. को महाराज शिवजी और मिर्जा राजा जय सिंह (मुगलों की तरफ से) के मध्य एक संधि हुई जिसे पुरन्धर की संधि (Treaty of Purandar) की नाम से जाना जाता है।
मिर्जा राजा जयसिंह प्रथम क़ी मृत्यु ((mirza raja Jai Singh I Death)
मई, 1667 में शाहजादा मुअज्जम व महाराजा जसवत सिंह को दक्षिण की सूबेदारी का भार सौंपकर मिर्जा राजा जयसिंह उत्तर की ओर लौट रहे थे तो 8 सितम्बर, 1667 (गोपीनाथ शर्मा की ‘राजस्थान का इतिहास’ पुस्तक में 28 अगस्त, 1668) को बुरहानपुर में क़ी मृत्यु इनकी हो गयी थी ।
जिसका कारण बताया जाता है क़ी राजा जयसिंह को औरंगजेब ने खाने में जहर दे दिया था।
आमेर में उनके बनवाये हुए कई महल तथा ‘जयगढ़ का दुर्ग’ आदि उनकी वास्तु कला के प्रति गहरी रुचि का द्योतक हैं, जो उत्तर मुगल कालीन राजपूत-मुगल शैली के प्रतीक हैं।
स्वयं विद्वान होने के साथ-साथ वह बिहारी जैसे विद्वान कवियों के आश्रयदाता भी थे। बिहारी ने बिहारी सतसई ग्रन्थ की तथा रामकवि ने ‘जयसिंह चरित्र’ ग्रन्थ की रचना इन्हीं के समय में की थी।
इनके शासनकाल में ही धर्म प्रदीप, भक्ति रत्नावली, भक्ति निर्णय, भक्ति निवृत्ति, हरनकर रत्नावली आदि महत्त्वपूर्ण ग्रंथों की रचना हुई । कवि बिहारी के भानजे ‘कुलपति मिश्र’ ने 52 ग्रंथों की रचना इन्हीं के आश्रय में की थी। मिर्जा राजा जयसिंह ने कवि बिहारी को उसके एक-एक दोहे पर एक-एक स्वर्ण असर्फी भेंट दी थी।
जय सिंह प्रथम (mirza raja Jai Singh) FAQ
Q 1. जय सिंह प्रथम का राज्याभिषेक कब किया गया था?
Ans – भाव सिंह की मृत्यु के बाद राजा भाव सिंह का कोई पुत्र ना होने के कारण 1621 ई. में राजा मानसिंह प्रथम के बड़े पुत्र जय सिंह प्रथम मात्र 11 वर्ष की आयु में आमेर के शासक बने।
Q 2. जय सिंह प्रथम का राज्याभिषेक कितने वर्ष की उम्र में किया गया था?
Ans – जय सिंह प्रथम का राज्याभिषेक 11 वर्ष की उम्र में किया गया था।
Q 3. जय सिंह प्रथम के पिताजी का नाम क्या था?
Ans – जय सिंह प्रथम के पिताजी का नाम महासिंह था।
Q 4. जय सिंह प्रथम की मां का नाम क्या था?
Ans – जय सिंह प्रथम की मां का नाम रानी दमयन्ती था.
Q 5. मिर्जा राजा जयसिंह का देहावसान कब हुआ था?
Ans – मिर्जा राजा जयसिंह का देहवासन 28 अगस्त, 1668 ई. को बुरहानपुर (मध्य प्रदेश) के पास हुआ था।
Q 6. जयसिंह प्रथम ने कितने वर्ष तक आमेर पर शासन किया था?
Ans – जय सिंह प्रथम ने 46 वर्षों तक आमेर पर शासन किया था।
Q 7. औरंगजेब जयसिंह क्या कहा करता था?
Ans – औरंगजेब जयसिंह ‘बनवा’ कहा करता था।