बप्पा रावल का परिचय (Who Was Bappa Rawal)
बप्पा रावल (Bappa Rawal) जिन्होंने मेवाड़ की स्थापना की जिनका दूसरा नाम “काल भोज “ है। बप्पा रावल वही नाम है, जिनके डर से 400 वर्षों तक विदेशी आक्रमणकारियो ने भारत में आने की हिम्मत तक नहीं दिखाई थी।
भारत के इतिहास में ऐसे हजारों योद्धा हुए हैं जिन्होंने अपनी तलवार और साहस के दम पर दुश्मनों को धूल चटाई थी। ऐसा कहा जाता है जब जब भारत के इतिहास का नाम आएगा तब तब राजस्थान और मेवाड़ का नाम सबसे आगे रहेगा।
ऐसा कहा जाता है कि पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर का नाम भी इन्हीं वीर योद्धा बप्पा रावल के नाम पर रखा गया था। बप्पा रावल एक न्यायप्रिय शासक थे।
इतिहासकार सी. वी. वैद्य ने बप्पा रावल (Bappa Rawal) की तुलना चार्ल्स मार्टेल ( मुगल सेना को सर्वप्रथम पराजित करने वाला फ्रांसीसी सेनापति) के साथ करते हुए कहा कि उसकी शौर्य की चट्टान के सामने अरब आक्रमण का ज्वार भाटा टकराकर चूर-चूर हो गया था।
मेवाड़ के संस्थापक बप्पा रावल का पूरा इतिहास जानने के लिए लेख को अंत तक पढ़े…..
बप्पा रावल के जीवन का प्रारंभिक काल (Bappa Rawal Early Life)
ऐसा कहा जाता है कि बप्पा रावल (Bappa Rawal) का जन्म 713 ईस्वी में ईडर (उदयपुर) में हुआ था और इनका बचपन का नाम “कालभोज”(कालभोजादित्य) था।
इतिहासकारों के अनुसार इनका बचपन मेवाड़ के एकलिंग जी के पास नागदा गांव में बीता था।
कर्नल टॉड के अनुसार ईडर के गुहिल वंश राजा नागआदित्य की हत्या के बाद उसकी विधवा पत्नी अपने 3 वर्षीय पुत्र बप्पा रावल को बढ़ा नगरी जाति की कमलावती के वंशजों के पास ले गई। कमलावती के वंशज भीलो के आतंक के कारण बप्पा को नायक के जंगलों में ले गए थे और वही इतिहासकारों के अनुसार बप्पा रावल हारित ऋषि की गाय चराता था।
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बप्पा रावल का मेवाड़ पर शासन (Bappa Rawal Empire)
हारित ऋषि के आशीर्वाद से ही बप्पा रावल (Bappa Rawal) ने मेवाड़ का राज्य प्राप्त किया था। उस समय के चित्तौड़ पर मान मोरी का राज हुआ करता था।
इतिहासकारों के अनुसार सन 734 ईश्वी में राजा मान मोरी को हराकर बप्पा रावल ने चित्तौड़ पर अधिकार कर लिया था।
कविराजा श्यामल दास ने ‘वीर विनोद’ में बप्पा रावल द्वारा मोर्यो गुहिलो से चित्तौड़ दुर्ग छीनने का समय 734 ईसवी ही बताया है। इस समय गुहिलो की राजधानी नागदा थी।
बताया जाता है कि उस समय विदेशी तुर्को ने चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया था बप्पा रावल ने चुनौती स्वीकार करते हुए युद्ध की ओर प्रस्थान किया और बप्पा के अद्भुत पराक्रम के सामने विदेशी आक्रमणकारी टिक तक नहीं पाए थे और सिंध की ओर भाग निकले।
यह भी बताया जाता है कि शत्रुओं का पीछा करता हुआ बप्पा रावल राजधानी गजनी तक पहुंच गए थे और वहां गजनी के शासक सलीम को हराकर बप्पा ने अपने भांजे को वहां के शासन पर बैठा दिया था।
बप्पा ने सलीम की पुत्री के साथ विवाह किया और चित्तौड़ लौट आया । चित्तौड़ लौट आने के बाद बप्पा रावल ने तीन उपाधि धारण क़ी – हिन्दू सूर्य , राजगुरु और चक्कवे (चारो दिशाओ का विजेता) क़ी।
बप्पा रावल के समय में तांबे एवं स्वर्ण धातु के सिक्के मिले हैं, जिनमें स्वर्ण सिक्का 115 ग्रेन का है। इन पर कामधेनु, शिवलिंग, बछड़ा, नंदी, दंडवत करता हुआ पुरुष ,त्रिशूल, समाधि का अंकन हुआ मिला है।
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बप्पा रावल की लंबाई कितनी थी? (Bappa Rawal Height)
जैसा इतिहासकार बताते है उस हिसाब से सम्भवतः बप्पा रावल क़ी लम्बाई (Bappa rawal height) 9 फ़ीट के आस पास थी। उनके वजन के बारे ज्यादा लिखा नहीं है सही तरिके से लेकिन आप अंदाजा लगा सकते है उनके बारे में ऐसा बताया जाता है, बप्पा रावल 35 हाथ की धोती और 16 हाथ का दुपट्टा पहनते थे।
ऐसा बताया जाता है क़ी बाप्पा रावल क़ी तलवार का वजन 32 मण इस हिसाब से तलवार का वजन 1280 किलो होता है।शायद इसीलिए इतिहासकार के अनुसार बाप्पा रावल तलवार के एक झटके से दो भैसो क़ी बली दे देते थे।
बप्पा रावल और हारित ऋषि (Bappa Rawal and Harit Rishi)
दंडधारी लकूलिस द्वारा प्रचारित शैव धर्म की एक शाखा जिसमें शिव पूजा एवं एकलिंग, लिंगरचन, दंड धारण करना प्रमुख लक्षण था, पशुपत संप्रदाय कहलाया था। मेवाड़ में इस मत का प्रचार प्रसार हारित ऋषि द्वारा किया गया था।
बप्पा रावल (Bappa Rawal) हारित ऋषि का शिष्य एवं पाशुपत संप्रदाय का अनुयाई था। अतः उसने पाशुपत एकलिंग जी को अपना आराध्य देव माना एवं कैलाशपुरी (उदयपुर) में एकलिंग जी का भव्य मंदिर भी बनवाया था।
बप्पा रावल ने एकलिंग जी को मेवाड़ का राजा घोषित किया और हमेशा अपने आप को दीवान समझा। जब से लेकर आज तक मेवाड़ के महाराणा अपने आपको एकलिंग जी का दीवान ही मानते हैं।
बप्पा रावल की मृत्यु (Bappa Rawal Death)
बप्पा रावल का देहांत (Death) 753 ईस्वी में नागदा में हुआ था। बप्पा रावल का समाधि स्थल एकलिंग जी (कैलाश पुरी) से 1 मील दूरी पर अभी भी मौजूद है, जो बप्पा रावल के नाम से प्रसिद्ध है।
बप्पा रावल महत्वपूर्ण प्रश्न (Bappa Rawal GK questions)
1. बप्पा रावल का असली नाम क्या हैं?
उत्तर- बप्पा रावल के बचपन का नाम “कालभोज”(कालभोजादित्य) था।
2. बप्पा रावल के पिता का नाम क्या हैं?
उत्तर- विक्रमादित्य।
3. बाप्पा रावल की माता का नाम क्या हैं?
उत्तर – बाप्पा रावल की माता का नाम कमलावती था।
4. बप्पा रावल के गुरू का नाम क्या था?
उत्तर- बप्पा रावल के गुरू का नाम हरित ऋषि था।
5. बप्पा रावल को “बाप्पा” की उपाधि किसने दी थी?
उत्तर – मांडलिक नामक भील सरदार ने।
6. मेवाड़ के आराध्य देव किसे माना जाता हैं?
उत्तर- एकलिंग नाथ जी को।
7. बप्पा रावल का बचपन कहां बीता?
उत्तर- नागदा गांव (उदयपुर)।
8. बप्पा रावल किसके उपासक थे?
उत्तर- भगवान शिव (एकलिंग नाथ जी) के उपासक थे।
9. बप्पा रावल का जन्म कब हुआ था?
उत्तर- 713 ईस्वी।
10. बप्पा रावल की मृत्यु कब हुई?
उत्तर- बप्पा रावल का देहांत (Death) 753 ईस्वी में नागदा में हुआ था।