Rajasthan ka Ekikaran in Hindi

राजस्थान का एकीकरण

राजस्थान का एकीकरण (Rajasthan ka Ekikaran Kab Hua in Hindi)

जब राजस्थान के एकीकरण की बात आती है तो सबसे ज्यादा राजस्थान को एक करने का श्रेय सरदार वल्लभभाई पटेल को जाता है साथ ही पूरे राजस्थान के राजपूत राजाओं को भी इसका श्रेय जाता है
सभी राजाओं ने अपने जितने भी जागीर थी ,शासन था सब त्याग कर दिया सिर्फ राजस्थान को एक करने के लिए

🔸 राजस्थान का एकीकरण कितने चरणों में हुआ (Rajasthan ka Ekikaran kitne Charno Mein Hua) – वैसे राजस्थान का एकीकरण (Rajasthan ka Ekikaran) 7 चरणों में पूर्ण हुआ।

🔸 राजस्थान का एकीकरण करने में 8 वर्ष 7 महीने 14 दिन का समय लगा।

🔸 (Rajasthan ka Ekikaran kab hua) – 26 जनवरी, 1950 ई. को राजपूताना का नाम बदलकर राजस्थान रखा गया। वहीं राजस्थान अपने वर्तमान स्वरूप में 1 नवम्बर, 1956 ई. को आया इसलिए 1 नवम्बर को राजस्थान स्थापना दिवस मनाया जाता है।

🔸राजस्थान में एकीकरण ( Rajasthan ka Ekikaran) के समय  19 रियासतें, तीन ठिकाने व एक केन्द्रशासित प्रदेश था।
🔸राजस्थान की प्राचीनतम रियासत मेवाड़/उदयपुर थी। इसकी स्थापना गुहिल/गुहादित्य के द्वारा 565 ई. की गई।

🔸 राजस्थान की नवीनतम रियासत झालावाड़ थी इसकी स्थापना झाला मदनसिंह द्वारा 1838 ई. में की गई। झालावाड़ अंग्रेजों द्वारा स्थापित एक मात्र रियासत थी जिसे कोटा से अलग करके बनाया गया और इसकी राजधानी पाटन रखी गई।
🔸 राजस्थान में सर्वाधिक जनसंख्या वाली रियासत जयपुर थी। जिसकी जनसंख्या 1941 ई. की जनगणना के अनुसार 30 लाख थी।
🔸सर्वाधिक क्षेत्रफल वाली रियासत मारवाड़/जोधपुर थी जिसका क्षेत्रफल 16071 वर्ग मील थी।

🔸सबसे कम जनसंख्या वाली रियासत शाहपुरा थी। जिसकी जनसंख्या 1941 ई. की जनगणना के अनुसार 16000 थी।
🔸 सबसे कम क्षेत्रफल वाली रियासत शाहपुरा भीलवाड़ा थी जिसका क्षेत्रफल 1450 वर्गमील था।
🔸भारत स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 की धारा 8 के तहत भारत की सभी रियासतों से ब्रिटिश प्रभुसत्ता समाप्त हो गई। देशी रियासतों का यह अधिकार सुरक्षित रखा गया की वे या तो भारत संघ में मिले या पाकिस्तान में मिले अथवा स्वयं का स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रखे।
🔸 देशी रियासतों की समस्या का हल करने के लिए लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में रियासती विभाग का गठन 5 जुलाई, 1947 ई.  को किया गया। इस विभाग का सचिव वी.पी. मेनन को बनाया गया।             
🔸रियासती विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने वाली प्रथम रियासत बीकानेर थी।
🔸बीकानेर के शासक शार्दुल सिंह ने 7 अगस्त, 1947 ई. को सर्वप्रथम रियासती विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए।
🔸 रियासती विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने वाली अंतिम रियासत धौलपुर थी। धौलपुर के शासक उदयभान सिंह ने 14 अगस्त, 1947 ई. को रियासती विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए।  

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एकीकरण के समय राजस्थान में ठिकाने

🔸 एकीकरण के समय राजस्थान में 3 ठिकाने थे-

  1. नीमराणा – राव राजेन्द्र सिंह (शासक)
  2. कुशलगढ़ – राव हरेन्द्र सिंह (शासक)
  3. लावा – बंश प्रदीप सिंह (शासक)

🔸 क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा ठिकाना कुशलगढ़ तथा सबसे छोटा ठिकाना लावा था।

एकीकरण के समय केन्द्रशासित प्रदेश

🔸राजस्थान में एकीकरण के समय एकमात्र केन्द्रशासित प्रदेश अजमेर-मेरवाड़ा था।

🔸अजमेर-मेरवाड़ा की अलग से विधानसभा थी जिसे धारासभा कहा जाता था। इस सभा में कुल 30 सदस्य थे और इस विधानसभा के मुख्यमंत्री हरिभाऊ उपाध्याय थे।

🔸अजमेर-मेरवाड़ा C श्रेणी का राज्य था।

राजस्थान के एकीकरण (Rajasthan ka Ekikaran) के 7 चरण –

प्रथम चरण – मत्स्य संघ (18 मार्च, 1948 ई.)-

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🔸अलवर, भरतपुर, धौलपुर व करौली राज्यों में भौगोलिक, जातीय व आर्थिक दृष्टिकोण से समानता होने के कारण इन राज्यों का एक संघ बना दिया गया तथा इनके अंदर नीमराणा ठिकाने को मिलाकर मत्स्य संघ का निर्माण किया गया।

🔸मत्स्य संघ – अलवर, भरतपुर, करौली, धौलपुर + नीमराणा ठिकाना।

🔸राजधानी – अलवर

🔸 राजप्रमुख – धौलपुर शासक – उदयभान सिंह

🔸उप राजप्रमुख – करौली के शासक गणेशपाल देव

🔸 प्रधानमंत्री – शोभाराम कुमावत (अलवर प्रजामंडल के नेता)

🔸 उप प्रधानमंत्री – युगल किशोर चतुर्वेदी (दूसरा जवाहरलाल नेहरू) व गोपीलाल गहलोत।

🔸 इस संघ का नाम मत्स्य संघ रखने की सिफारिश के.एम. मुंशी ने की थी। 

🔸उद्घाटन – नरहरी विष्णु गॉडगिल (एन.वी.गॉडगिल) द्वारा इस संघ का उद्घाटन लोहागढ़ दुर्ग, भरतपुर में 18 मार्च, 1948 ई. को किया गया। यहाँ यह तथ्य उल्लेखनीय है कि इस संघ का उद्घाटन 17 मार्च, 1948 को होना था, लेकिन भरतपुर शासक के छोटे भाई देशराज ने इसे जाट विरोधी बताया तथा इसका विरोध किया। अत: जाटों का एक प्रतिनिधि संघ में शामिल किया और उद्घाटन 18 मार्च को किया गया।

🔸मत्स्य संघ का कुल क्षेत्र 12000 वर्ग किमी., जनसंख्या 18.38 लाख एवं वार्षिक आय 1 करोड़ 84 लाख थी।

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द्वितीय चरण – राजस्थान संघ/पूर्व राजस्थान (25 मार्च, 1948 ई.)

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🔸 इस चरण में 9 रियासतें तथा एक ठिकाने को शामिल किया गया।

🔸बाँसवाड़ा, डूँगरपुर, प्रतापगढ़, शाहपुरा, किशनगढ़, टोंक, बूँदी, झालावाड़, कोटा + कुशलगढ़ ठिकाना।

🔸राजधानी – कोटा

🔸राजप्रमुख – भीमसिंह (कोटा के शासक)

🔸 उप राजप्रमुख – बहादुर सिंह (बूँदी के शासक)

🔸कनिष्ठ उप राजप्रमुख – लक्ष्मण सिंह (डूँगरपुर के शासक) 

🔸प्रधानमंत्री – प्रो. गोकुल लाल असावा (शाहपुरा)

🔸उद्घाटन – इस चरण का उद्घाटन नरहरी विष्णु गॉडगिल (एन.वी.गॉडगिल) द्वारा 25 मार्च, 1948 ई. को कोटा के दुर्ग में किया गया।

🔸राजस्थान संघ/पूर्व राजस्थान संघ का क्षेत्रफल 16860 वर्ग किमी., जनसंख्या लगभग 23 लाख तथा 200 करोड़ रु. की वार्षिक आय थी।

🔸बाँसवाड़ा शासक चन्द्रवीर सिंह ने एकीकरण विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते समय कहा था- ‘मैं अपने डेथ वारन्ट पर हस्ताक्षर कर रहा हूँ।’

 तृतीयचरण – संयुक्त राजस्थान (18 अप्रैल, 1948 ई.)

🔸तृतीय चरण के अन्तर्गत राजस्थान संघ के अंदर उदयपुर को मिला दिया गया और इसे संयुक्त राजस्थान नाम दिया गया।

🔸राजधानी – उदयपुर

🔸राजप्रमुख – भूपाल सिंह (मेवाड़ शासक)

🔸 उप राजप्रमुख – भीम सिंह (कोटा शासक)

🔸 प्रधानमंत्री – माणिक्य लाल वर्मा (मेवाड़) इनको प्रधानमंत्री बनाने की सिफारिश जवाहरलाल नेहरू द्वारा की गई।

🔸उद्घाटन – संयुक्त राजस्थान का उद्घाटन जवाहरलाल नेहरू द्वारा 18 अप्रैल, 1948 ई. को कोटा के दुर्ग में किया गया।

🔸 संयुक्त राजस्थान संघ का क्षेत्रफल – 29,777 वर्गमील, जनसंख्या – 42,60,918 तथा वार्षिक आय 316 करोड़ रु. थी।

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चतुर्थ चरण – वृहत् राजस्थान (30 मार्च, 1949 ई.)

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🔸चतुर्थ चरण में संयुक्त राजस्थान के अंदर जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर + लावा ठिकाने को मिला दिया गया।

🔸राजधानी – जयपुर (श्री पी. सत्यनारायण राव समिति की सिफारिश पर जयपुर को राजधानी बनाया गया।)

🔸महाराज प्रमुख – भूपाल सिंह (मेवाड़ शासक)  

🔸राजप्रमुख – मानसिंह द्वितीय (जयपुर शासक)

🔸 उप राजप्रमुख – भीमसिंह (कोटा शासक)

🔸प्रधानमंत्री – हीरालाल शास्त्री, जयपुर

🔸 उद्घाटन – वृहत् राजस्थान संघ का उद्घाटन सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा जयपुर में किया गया।

🔸इसमें निम्नानुसार विभागों का आंवटन हुआ-

  • न्याय विभाग – जोधपुर। 
  • शिक्षा विभाग – बीकानेर। 
  • वन विभाग – कोटा। 
  • कृषि विभाग – भरतपुर। 
  • खनिज विभाग – उदयपुर।

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पंचम चरण –वृहत्तर राजस्थान (संयुक्त वृहत् राजस्थान) (15 मई, 1949 ई.) –

rajasthan ke ekikaran ka panchva charan image

🔸 वृहत् राजस्थान, मत्स्य संघ को मिलाकर वृहत्तर राजस्थान (संयुक्त वृहत् राजस्थान) का निर्माण किया गया।

🔸 राजधानी – जयपुर। 

🔸महाराज प्रमुख – भूपाल सिंह (मेवाड़ शासक)।  

🔸राजप्रमुख – मानसिंह द्वितीय (जयपुर शासक)।

🔸 उप राजप्रमुख – भीमसिंह (कोटा शासक)। 

🔸 प्रधानमंत्री – हीरालाल शास्त्री, जयपुर।

🔸शंकर देवराय समिति की सिफारिश पर मत्स्य संघ का विलय वृहत् राजस्थान में करके वृहत्तर राजस्थान बनाया गया।

🔸उद्घाटन – इसका उद्घाटन सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा किया गया।

षष्ठम चरण –राजस्थान संघ (26 जनवरी, 1950 ई.)

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🔸राजस्थान संघ का निर्माण वृहत्तर राजस्थान के अंदर सिरोही (आबू व देलवाड़ा को छोड़कर) को मिलाकर किया गया।

🔸राजधानी – जयपुर। 

🔸 महाराज प्रमुख – भोपाल सिंह (मेवाड़ शासक)।  

🔸राजप्रमुख – मानसिंह द्वितीय (जयपुर शासक)।

🔸उप राजप्रमुख – भीमसिंह (कोटा शासक)। 

🔸प्रधानमंत्री – हीरालाल शास्त्री, जयपुर।

🔸 26 जनवरी, 1950 ई. को राजस्थान को ‘B’ श्रेणी में शामिल किया गया तथा राजपुताना का नाम बदलकर राजस्थान रख दिया गया।

🔸सिरोही के हाथलगाँव निवासी गोकुल भाई भट्ट के प्रयासों से सिरोही राजस्थान में शामिल किया गया। लेकिन आबू व देलवाड़ा क्षेत्र को गुजरात में शामिल कर दिया गया। 

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सप्तम चरण – वर्तमान राजस्थान (01 नवम्बर, 1956 ई.)

🔸 इस चरण के अन्तर्गत – राजस्थान संघ + आबू, देलवाड़ा +अजमेर मेरवाड़ा + सुनेल टप्पा – सिरोंज क्षेत्र (सिरोंज का क्षेत्र मध्य प्रदेश में मिला दिया गया।)  

🔸राजधानी – जयपुर। 

🔸सिफारिश –राज्य पुनर्गठन आयोग जिसके अध्यक्ष फजल अली थे कि सिफारिश पर अजमेर मेरवाड़ा, आबू देलवाड़ा व सुनेल टप्पा को वर्तमान राजस्थान में मिला दिया गया। वहीं राजस्थान के झालावाड़ का क्षेत्र सिरोंज मध्य प्रदेश में मिलाया गया।

🔸 राज्य पुनर्गठन आयोग – राज्य पुनर्गठन आयोग की स्थापना भारत सरकार द्वारा 22 दिसम्बर, 1953 ई. को जस्टिस फजल अली की अध्यक्षता में की गई और पंडित हृदयनाथ कुंजरू तथा सरदार पन्निकर को सदस्य बनाया गया। इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट सितम्बर 1955 ई. में भारत सरकार को सौंप दी। इस रिपोर्ट के आधार पर संसद ने नवम्बर, 1956 ई. में राज्य पुनर्गठन अधिनियम बनाया।  

🔸इस अधिनियम के द्वारा राजप्रमुख पद को समाप्त कर राज्यपाल का पद सृजित किया गया व राज्यों की श्रेणी अ, ब तथा स को समाप्त कर दिया गया।

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