rajasthan ki chhatris

राजस्थान की प्रमुख छतरियाँ

छतरी का अर्थ (Chhatri Meaning in Hindi)

छतरी का अर्थ होता है (Chhatri Meaning ) जब किसी व्यक्ति क़ी मृत्यु हो जाती हैं उसकी याद  में बनाया गया स्मारक छतरी (Chhatri) कहलाता है।

इस लेख में राजस्थान क़ी प्रमुख छतरियो ((Rajasthan ki  Parmukh Chhatriyan) के बारे में बताया है पूरा पढ़े। 

राजस्थान की प्रमुख छतरियां (Rajasthan ki  Parmukh Chhatriyan)

1 खम्भों की छतरियाँ (Chhatriya) –

🔸 सवाई माधोपुर
🔸मण्डोर – जोधपुर
8 खम्भों की छतरियाँ –

🔸राणा प्रताप की छतरी – बाडोली – उदयपुर
🔸राणा सांगा की छतरी – माण्डलगढ़ – भीलवाड़ा
🔸सरिस्का (अलवर)

12 खम्भो की छतरियाँ –

🔸12 खम्भों की छतरी – कुंभलगढ़ (राजसंमद)
पृथ्वीराज सिसोदिया (उङना राजकुमार) की छतरी 12 खम्भों की है।

16 खम्भों कीछतरियाँ –

🔸नागौर
अमरसिंह राठौड़ की छतरी।

20 खम्भों कीछतरी – जोधपुर
सिंघवियों की छतरी।

32 खम्भों कीछतरियाँ –
🔸रणथंभौर – सवाईमाधोपुर में –
निर्माण – हम्मीर देव चौहान  ने करवाया।
🔸 जैत्रसिंह/जयसिम्हा की छतरी (हम्मीर के पिता)
🔸 इसे न्याय की छतरी भी कहा जाता है।

32 खम्भों कीछतरी – माण्डलगढ़ (भीलवाड़ा)
जगन्नाथ कच्छवाहा की छतरी

32 खम्भों की छतरी – अलवर
32 खम्भों की छतरी – मण्डोर (जोधपुर) – सूर्यादेवी की छतरी।

80 खम्भों की छतरी – अलवर
🔸 निर्माण – 1815 ई. में विनयसिंह द्वारा करवाया गया था।
🔸बख्तावर सिंह एवं मुशी रानी की स्मृति में।
🔸यह दो मंजिला छतरी है।
🔸प्रथम मंजिला
– लाल पत्थरों से निर्मित है।
– इस छतरी पर रामायण व महाभारत के चित्र चित्रित किए गए हैं।
🔸दूसरी मंजिल
– मुशी रानी की छतरी
– सफेद पत्थरों से निर्मित है।

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84 खम्भों की छतरी ( 84 Khambo Ki Chhatri ) – बूँदी

84 khambo ki chhatri bundi

🔸इसका निर्माण अनिरूद्ध सिंह के द्वारा देवा घाबाई की स्मृति में करवाया गया।
🔸 देजपुरा गाँव के निकट बूँदी जिले में स्थित।
🔸यह तीन मंजिला छतरी है।
🔸प्रथम मंजिल – 84 प्रकार के कामसूत्रों के आसन का चित्रण किया गया है।
🔸 द्वितीय मंजिल – 84 प्रकार की योनियों का विवरण मिलता है।
🔸तृतीय मंजिल – अध्यात्मिक चित्रों का चित्रण किया गया है।

गैटोर की छत्तरियाँ – जयपुर

– यह जयपुर राज परिवार का शमशान स्थल है।
– यहाँ प्रथम एवं सबसे बड़ी छतरी सवाई जयसिंह की है।
Note : ईश्वर सिंह की छतरी सिटी पैलेस जयपुर के जयनिवास उद्यान में स्थित है।

मण्डोर की छत्तरियाँ (Chhatris)– जोधपुर

– यह जोधपुर राठौड़ राजवंश की छत्तरियाँ स्थित है।
– पंचकुण्डा की छतरियाँ – जोधपुर
– यहां जोधपुर रानियों की छतरियाँ स्थित है।

केसर बाग की छतरियाँ – बूँदी

– यहां बुंदी राजपरिवार की छतरियाँ स्थित हैं।
– यहां कुल 66 छतरियाँ स्थित हैं।
– सबसे प्राचीन छतरी दूदा की छतरी है।
– नवीनतम छतरी विष्णु सिंह की है।

क्षार बाग – कोटा

🔸कोटा राजवंश की छतरियाँ है।

उदयपुर की छतरियाँ

🔸आहड़ छतरियां – उदयपुर

🔸बाण्डोली की छतरी (bandoli ki chhatri) उदयपुर

नोट:- ये छतरी “केजड़ बाँध” के पास है।
🔸आहङ की छतरियाँ – मेवाड़ राजपरिवार का शमशान स्थल।

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देवी कुण्ड –बीकानेर

🔸बीकानेर राजाओं की छतरियां स्थित है।
🔸सरदार सिंह की छतरी संगमरमर से निर्मित है।

बड़ा बाग –जैसलमेर

जैसलमेर राजाओं की छतरियां।

अलवर की छतरियाँ

🔸नैङा की छतरियां – अलवर।
– इन छतरियों पर दशावतार का चित्रण किया गया है।

80 खम्भी की छतरी/मूसी महारानी की छतरी -अलवर

राजा बख्तावर सिंह की छतरी – अलवर

लवर टहला की छतरियां – अलवर

फतेह गुम्बद छतरी -अलवर

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🔸कुते की छतरी – लालसौट (दौसा)
🔸आलम आला की छतरी – जयपुर।
🔸दुर्गादास की छतरी – शिप्रा नदी तट पर उज्जैन (मध्य प्रदेश) में संत रैदास की छतरी – चित्तौड़गढ़।
🔸मामा-भान्जा की छतरी – मेहरानगढ़ (जोधपुर)
इसे धन्ना-भिंया की छतरी भी कहते है।
इसका निर्माण अजीत सिंह ने करवाया था।
🔸सेनापति की छतरी – जोधपुर
– मान सिंह के सेनापति इन्द्रराज सिंघवी की छतरी।
🔸कीर्ति धणी की छतरी – जोधपुर।
🔸अप्पाजी सिंधिया की छतरी – ताऊसर (नागौर)
🔸अकबर की छतरी – बयाना – भरतपुर।
🔸कपूरबाबा की छतरी –
पिछोला झील किनारे – उदयपुर
निर्माण – शाहजहाँ के द्वारा

🔸चेतक की छतरी – ब्लीचागाँव – राजसंमद
🔸गंगा बाई की छतरी – भीलवाड़ा
🔸पन्नाधाय की छतरी – चित्तौड़गढ़
🔸गौराधाय (मारवाड़ की पन्नाधाय) – जोधपुर
🔸राव जैतसी की छतरी – हनुमानगढ़
🔸रसिया की छतरी – टोंक
🔸राव जी की छतरी (8) – बेंगू चित्तौड़गढ़
🔸संत पीपा की छतरी – गागरोन – झालावाड़

🔸जयमल, फत्ता व कल्लाजी की छतरी – चित्तौड़गढ
🔸अमरगर की छतरियाँ – भीलवाड़ा
🔸नटनी की छतरी – जालौर

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